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यस आई एम— 33






















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"आज जो कुछ भी दद्दू ने बताया उस से पता चल गया है कि किसी की भी जिंदगी आसान नहीं होती। देखने से सब लोग नॉर्मल ही लगते है पर अपने अंदर बहुत गहरे राज छिपाए रखते है, जिन्हें अगर वक्त पर बाहर ना निकाला जाए तो वो इंसान के लिए जहर बन जाते है।



वैसे इतना तो पक्का हो गया कि दद्दू कभी कोई गलत काम नही करते और ना ही कभी कुछ गलत होने देते। मेरा इनके साथ रहने का फैसला एकदम सही था।  पंछी के लिए मै जरूर यूनिवर्सिटी जाऊंगी और पढूंगी भी।" अपनी बात पूरी करने के बाद वह काम करने लगी। 





सब कुछ सामान्य चल रहा था , लड़की के यूनिवर्सिटी जाने में कुछ दिन का वक्त अभी बाकी था। एक दिन वह रेस्टोरेंट में काम कर रही थी तभी मीरा उसके पास आई और अपने चिपकने वाले अंदाज में चिपकते हुए बोली। "हैलो कैसी तो आप? उस दिन तो मुझे मेरे दोस्त की कॉल आ गई थी जिस वजह से मुझे जाना पड़ा।"



मीरा की इतनी बात सुन कर वह सोचने लगी वो तो मुझे अच्छे से मालूम है कि तुम्हारे किस दोस्त का कॉल आया था और कॉल क्यों आया था। पर फिर भी जानने में मजा आएगा।



"कोई बात नही तुम जो कुछ जानना चाहती हो , आज जान सकती हो मीरा!" वह बहुत ही विनम्रता के साथ बोली।



इतना सुनकर मीरा भी खुश हो गई और अपनी खुशी को जाहिर करते हुए बोली। "सच में! आपको बुरा ना लगे तो क्या हम दोनों कॉफी पीते पीते बातें कर सकते है?"



"हां , क्यों नही! मुझे क्या प्रॉब्लम हो सकती है।" इतना कहते ही वह मीरा को साथ लेकर एक सीट पर जाकर बैठ गई। वहां पर जाते ही उसने वेटर को कॉफी का ऑर्डर भी दे दिया। कुछ ही देर में कॉफी उन दोनों के सामने आ गई।



वह लड़की कॉफी पीते हुए बोली। "आप बहुत अच्छी हो। मैंने आपकी खूब तारीफ सुनी है।"



मीरा की इतनी बात सुनकर वह सोचने लगी । मै और अच्छी यह लड़की कौन सा नशा करके आई है? नही, अभी इसे मेरे किए हुए कारनामों के बारे में पता ही कहां है तभी तो मेरी इतनी तारीफ कर रही है। इतना सोचते ही वह मन ही मन हँसने लगी और उसके बाद बड़ी ही मासूमियत के साथ मीरा से पूछते हुए बोली। "मै अच्छी हूं ये किसने बोल दिया और मेरी तारीफ कहां से सुन ली तुमने ? मुझे यहां पर आए हुए 6 महीने ही हुए है और तुम ये सब कह रही हो, तो मुझे यकीन ही नहीं हो रहा।"



"अच्छी इसलिए हो क्योंकि मैंने कई बार देखा है कि आप रेस्टोरेंट में आने वाले सभी जरूरतमंदों को खाना खिलाती है और दूसरों की मदद भी करती हो।" मीरा लड़की को जवाब देते हुए बोली।



मीरा की बात को सुनने के बाद वह बोली। "भूखे को खाना खिलाना चाहिए ये मैने अपने दद्दू से सीखा है और इंसानियत के नाते या फिर अपने मतलब के लिए भी कह सकती हो।"



इतनी बात सुनकर मीरा शॉक्ड रह है और खुद को रोक नहीं पाई जिसकी वजह से उसके मुंह से बस कुछ शब्द ही निकल पाए "मतलब के लिए कैसे...?"



मीरा का ऐसा रिएक्शन देख वह मुस्कुराते हुए बोली। "मतलब के लिए अगर हम किसी को कोई काम सिखाते है उससे हमारी स्किल्स में इंप्रूवमेंट ही होता है, जिससे हमारा ही फायदा होता है। मै इस मतलब की बात कर रही थी। ना की लालच वाले मतलब की। पुरी बात तो सुन लिया करो। इसे पेशेंस की कमी होना बोलते है जिसकी वजह से लोगों को बहुत नुकसान होता है।"



"ओह! आप इस मतलब की बात कर रही थी। आपके इस तरह से बात करने के तरीके की वजह से बहुत लोग आपके फैन है। पर एक बात ओर है आपकी बातें बहुत ही रहस्यमई होती है जिसके एक साथ कई मतलब निकलते है।" मीरा उसकी बातों से प्रभावित होते हुए बोली।





"वो तो ठीक है पर अभी तुमने बातों ही बातों में एक बात कही थी कि तुमने मेरी बहुत तारीफे सुनी है। पर मेरी तारीफ किसने की है? ऐसा कौन है है जिसने मेरी तारीफ़ कर दी।" वह सवाल पूछते हुए बोली।



इतनी बात सुनकर मीरा झेंप गई उसके इस भाव को लड़की ने नोटिस कर लिया था और समझ भी गई थी कि लड़की में कुछ तो झोल है।



"अरे वाह! आपका आईक्यू लेवल तो बहुत बढ़िया है, मै भी अपनी कही हुई बात भूल गई थी पर आपके याद रही वाकई में बहुत बढ़िया मैमोरी है आपकी।" मीरा तारीफों के पुल बांधते हुए बोली। 



"हां, मै हर एक बात को बड़े ध्यान से नोटिस करती हूं। जिस बात का कभी कभी सामने वाले को भी काफी नुकसान हो जाता है। तो अब बात बताओं क्या थी?" वह अपने लहजे को गर्म करते हुए बोली।



"ठीक है बताती हूं, क्या बात है।" इतना कहने के बाद लड़की ने गहरी आह भरी और फिर बात को आगे बढ़ाती हुई बोली। "मेरा एक दोस्त है जिसका नाम उदय है, मै उसे बहुत पसंद करती हूं। अब आप ये सोच रही होंगी कि मै आपको ये सब क्यों बता रही हूं? मुझे आप समझदार लगी, प्लीज  आप पहले मेरी बात पूरी सुन लीजिए। मै उसे बहुत पसन्द करती हूं और वह किसी ओर लड़की को पसन्द करता है और वह भी पागलों की तरह। वह उस लड़की के लिए कुछ भी कर सकता है और उसने मुझे भी साफ साफ एक बात कह दी कि उसे उस लड़की की सिवाए कोई ओर चाहिए ही नही। वह लड़की कोई ओर नही बल्कि आप हो।"







इतनी बात सुनकर लड़की ने मीरा की बात पर कोई रिएक्शन नही दिया, उल्टा उसे देखकर तो ऐसा लग रहा था मानो जैसे उसे पहले से ही मालूम था कि लड़की क्या कहने वाली है। कुछ देर शांत रहने के बाद लड़की ने बोलना शुरू किया। "देखो , पहली बात तो मुझे समझ ही नहीं आ रहा कि तुमने मुझे समझ क्या रखा है? जो तुमने मुझे इतनी बड़ी बात कह दी। माना तुम्हारे दोस्त को मै अच्छी लगी हूं, पर इसका मतलब यह नहीं कि मै अब उस से बात भी करूं। तुम तो खुद भी एक लड़की को ऐसे कैसे किसी को बोल सकती हो कि उस लड़के से बात कर लो। " लड़की मीरा को जिस तरह से समझा रही थी उस से तो लग रहा था वह उसकी इज्जत के साथ बेइज्जती कर रहीं थी क्योंकि लड़की के बोलने का तरीका तो बहुत ही ज्यादा विनर्म था मतलब इतना कि सामने वाला सुन भी ना पाए और उसके शब्द इज्जत से भरे हुए थे।



लड़की की इतनी बात सुनकर मीरा डर गई और डरते डरते बोली। "नही ऐसा कुछ भी नही है, मैने तो सिर्फ आपको अपने दोस्त के दिल की बात बताई। बाकि आपकी मर्जी है आप उस से बात करे या ना करे।"





"देखो मीरा! मर्जी मेरी है और मै अपनी मर्जी ही करूंगी इसमें कोई दो राय नहीं है। पर अगर तुम दोबारा फिर से ये फालतू की बातें लेकर मेरे सामने आई तो वो सही नही होगा। इस बार मैं तुम्हें छोड़ रहीं हूं, आगे नहीं छोडूंगी। एक ओर बात डरने की जरूरत नहीं तुम आगे भी यहां पर आ सकती हो, पर ध्यान रहे दोबारा इस टॉपिक पर मुझे कोई बात नहीं करनी।" वह चेतावनी देते हुए बोली।



लड़की की इतनी बात सुनकर मीरा वहां से चुप चाप चली गई। मीरा के वहां से जाते ही वह मन ही मन सोचने लगी।

"मुझे नही लगा था मेरा बाहर आकर ऐसे ऐसे लोगों से भी पाला पड़ेगा। एक तरफ कहां तो मैं ये सोचने में बिज़ी थीं कि यूनिवर्सिटी में जाकर कैसे पढूंगी, वो तो वही जाकर पता लगेगा। अब ये लोग कबूतर बनना कब छोड़ेंगे,कुछ नही हो सकता लोगों का। पता नही कौन सा सस्ता नशा करके आते है ये लोग। जो बिना सोचे समझे ही कुछ भी कह देते है। अगर लड़के को मै इतनी ही पसंद हूं तो सीधा आ कर मुझे ही बोले ना , ऐसे कबूतर भेजने क्या जरूरत? वैसे आज मेरा ज्यादा ज्ञान देना का मूड नहीं वैसे भी मेरा ज्ञान मर्डर करने के टाइम ही निकल कर बाहर आता है।"

इतना कहते ही वह अपने काम में गई गई।



★★★



To be continued....................।


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🤔🤔🤔

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